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PURNIMA FAST (VART)

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पूर्णिमा व्रत क्या है-  लोक मान्ययताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन वट पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 5 जून को मनाया गया। इस व्रत को ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या से आरंभ किया जाता है और ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन पूरा किया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं वट पूर्णिमा का व्रत रखती हैं और वट यानी बरगद की पूजा करते अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। कहा जाता है कि वट वृक्ष का पूजन और व्रत करके ही सावित्री ने यमराज से अपने पति को वापस पा लिया था। तभी से पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत का विधान प्रचलित हो गया। वट पूर्णिमा का महत्व - मान्यता है कि वट यानी बरगद इकलौता ऐसा वृक्ष है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से तीनों देवता प्रसन्न होते हैं और मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने वाली महिलाओं का सुहाग हमेशा सुरक्षित रहता है और उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। किवदन्ती के अनुसार इस व्रत से यह भी पता चलता है कि सुहागन स्त्री में कितनी त

Education- A Needs Of Life

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शिक्षा और उसकी आवश्यकता- शिक्षा का अर्थ है सीखना और सिखाना। ... व्यापक अर्थ में शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। शिक्षा का उद्देश्य- प्राचीन भारत में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य 'मुक्ति' की चाह रही है (सा विद्या या विमुक्तये / विद्या उसे कहते हैं जो जन्म मरण के दीर्घ रोग को समाप्त कर दे अर्थात मोक्ष प्राप्ति।   यह सर्वमान्य सिद्धान्त है कि इस संसार में मानव ऐसा प्राणी है जिसकी सर्वविध उन्नति कृत्रिम हैए स्वाभाविक नहीं। शैशवकाल में बोलने,चलने आदि की क्रियाओं से लेकर बड़े होने तक सभी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने हेतु उसे पराश्रित ही रहना होता है, दूसरे ही उसके मार्गदर्शक होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि समय.समय पर विविध माध्यमों अथवा व्यवहारों से मानव में अन्यों के द्वारा गुणों का आधान किया जाता है।  यदि ऐसा न किया जाये तो मानव ने आज के युग में कितनी ही भौतिक उन्नति

Kawar-Yatra

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क्या है कावङ यात्रा- कंधे पर गंगाजल लेकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाने की परंपरा, ' कांवड़  यात्रा' कहलाती है। कहते हैं यह भक्तों को भगवान से जोड़ती है। महादेव को प्रसन्न कर मनोवांछित फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय  कांवड़  यात्रा भी है, जिसे शिव को प्रसन्न करने का सहज मार्ग माना गया है। कैसे शुरू हुई कावङ यात्रा- पौराणिक काल से ही  कांवड़ यात्रा  का प्रचलन है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए  कांवड़  में मानसरोवर से जल भरकर लायीं थीं और उनका अभिषेक किया था। उत्तरभारत में  कांवड़ यात्रा  का बड़ा महत्व है। ये लोग गोमुख से जल भरकर रामेश्वरम में ले जाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। कावङ यात्रा से कोई लाभ/हानि है- हमारे पवित्र शास्त्रों (गीताजी अध्याय 14 श्लोक 3  के 5, शिव पुराण अध्याय 5 श्लोक 8, श्रीमद्देवीभागवत पुराण के पृष्ठ संख्या 123  आदि) के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और  और महेश तीनों तीन लोक के स्वामी हैं तथा किसी भी व्यक्ति को उसके कर्म अनुसार फल प्रदान करते हैं अर्थात उसके भाग्य में लिखे को नहीं बदल सकते हैं। इसी कारण कावङ यात

Inflation

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महंगाई क्या है- अल्प समय में रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोगी वस्तुओं की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि को महंगाई नाम से जाना जाता है, जो दिन ब दिन बढत ही रहती है। महंगाई को हम कुछ इस प्रकार समझ सकते है जब मूलभूत वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगते है। पैसो का मूल्य गिरना और दाम बढने को महंगाई कहा जाता है। महंगाई बढते ही कमाई कम हो जाती है और खर्च बढ जाता है। महंगाई के विरोध मे कई बार प्रदर्शन होते है, रैलिया निकलती है और मार्च निकलते है। महंगाई बढ़ने के मुख्य कारण- महंगाई हमारे देश मे एक बड़ी और गंभीर समस्या है, जो सुरसा के मुँह की तरह दिन ब दिन बढती जा रही है । समय के साथ महंगाई और भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा गरीब और गरीब । कई बार पयार्यवण के कारण भी गरीब आती है अगर फसल के समय कोई आपदा आ जाती है और फसल खराब हो जाती है तो उस परिवार का भरण पोषण रूक जाता है। बात यह नही है कि हमारे देश मे भोजन नही है, बात कुछ यूं है कि काला बाजारी के चलते भी अकसर दामो मे वृद्धि होती है। देश के कुछ अर्थशास्त्रीयो ने इस विषय पर शोध किया है। कुछ ऐसे अहम बिंद

Religious Felling

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धार्मिकता-   मनुष्य का परमात्मा प्राप्ति के लिए विभिन्न तरीकों से जप, तप और अन्य अनुष्ठान आदि करना, तीर्थाटन, व्रत-उपवास करना, तथा धर्म दान करना, तीर्थ जल में नहाना आदि धार्मिकता है।    भारत में धार्मिक भावना अधिक क्यों- भारत युगों युगों से ऋषि मुनियों की तपोभूमि रहा है, जो कालब्रह्म की भक्ति भी शास्त्र अनुकूल करते थे। जिसके कारण परम्परागत रूप से भक्ति मार्ग संचालित है लेकिन समय व्यतीत होने के साथ-साथ शास्त्रों को छोङकर मनमाना आचरण करने लगे और आज यह स्थिति हो चूकी है कि भक्ति साधना को धन दौलत कमाने का जरिया बना लिया है।  वेदों-कतेबों में भक्ति मार्ग - पवित्र वेद और कतेब प्रमाण देते हैं कि जब पृथ्वी पर शास्त्र विरूद्ध भक्ति साधना का स्तर अधिक बढ़ जाता है तब परमात्मा स्वयं सशरीर सतगुरु रूप में सतलोक से चलकर आते हैं और अपनी अच्छी आत्माओं को तत्वज्ञान से परिचित करवा कर इस काल जाल से मुक्त करवाते हैं।  पूर्ण गुरु की पहचान- हमारे सभी पवित्र धर्मग्रन्थों में पूर्ण संत की पहचान बताई गई है। पवित्र गीताजी के अध्याय 15 श्लोक 1 में पूर्ण गुरु अर्थात तत्वदर्शी संत की पहचान बताई गई है कि संसार रूपी

Secrets Of Bible

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परमात्मा साकार है- पवित्र बाइबिल के उत्पत्ति ग्रन्थ के पैरा संख्या 26-27 में लिखा है कि परमात्मा ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया और नर नारी करके बनाया अर्थात पूर्ण परमात्मा मनुष्य रूप में साकार है।  मांसाहार परमात्मा का आदेश नहीं- पवित्र बाइबिल के उत्पत्ति ग्रन्थ के 1:29 में परमात्मा ने कहा कि मनुष्यों के खाने के लिए मैंने छोटे छोटे बीजदार पौधे और फलदार वृक्ष दिये हैं अर्थात मांस खाने का आदेश नहीं दिया।  सर्व शक्तिमान परमात्मा कबीर है- ऑर्थोडॉक्स यहूदी बाइबिल अय्यूब 36:5 में लिखा है कि सर्व शक्तिमान और अविनाशी परमात्मा कबीर है जो किसी से ईर्ष्या नहीं रखता है और वही पूजा के योग्य है ।  अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना टीवी चैनल सांय 7:30 बजे से 

Essence Of Gitaji

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गीता सार:- आज तक हम पवित्र गीताजी का ज्ञान दाता श्रीकृष्णजी को मानते आ रहे हैं लेकिन संत रामपालजी महाराज द्वारा दिये गये तत्वज्ञान की रोशनी में पता चला कि पवित्र गीताजी का ज्ञान दाता श्रीकृष्णजी नहीं बल्कि कालब्रह्म है (प्रमाण गीताजी अध्याय 7/24-25, 8/13, 11/32)। जो अर्जुन को अपने से अन्य किसी परम शक्ति की शरण में जाने को कह रहा है।  वह परम शक्ति कौन है ? जानने के लिए अवश्य देखें साधना टीवी चैनल सांय 7:30 बजे से