Kawar-Yatra

  • क्या है कावङ यात्रा-
कंधे पर गंगाजल लेकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाने की परंपरा, 'कांवड़ यात्रा' कहलाती है। कहते हैं यह भक्तों को भगवान से जोड़ती है। महादेव को प्रसन्न कर मनोवांछित फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय कांवड़ यात्रा भी है, जिसे शिव को प्रसन्न करने का सहज मार्ग माना गया है।

  • कैसे शुरू हुई कावङ यात्रा-
पौराणिक काल से ही कांवड़ यात्रा का प्रचलन है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ में मानसरोवर से जल भरकर लायीं थीं और उनका अभिषेक किया था। उत्तरभारत में कांवड़ यात्रा का बड़ा महत्व है। ये लोग गोमुख से जल भरकर रामेश्वरम में ले जाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
  • कावङ यात्रा से कोई लाभ/हानि है-
हमारे पवित्र शास्त्रों (गीताजी अध्याय 14 श्लोक 3  के 5, शिव पुराण अध्याय 5 श्लोक 8, श्रीमद्देवीभागवत पुराण के पृष्ठ संख्या 123 
आदि) के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और 
और महेश तीनों तीन लोक के स्वामी हैं तथा किसी भी व्यक्ति को उसके कर्म अनुसार फल प्रदान करते हैं अर्थात उसके भाग्य में लिखे को नहीं बदल सकते हैं। इसी कारण कावङ यात्रा के दौरान कई श्रद्धालु विभिन्न दुर्घटनाओं/हादसों के शिकार हो जाते हैं। 
    इनकी भक्ति करने वालों की भी स्थिति हमारे सामने है।  जैसे शिव उपासक रावण, भस्मासुर, विष्णु उपासक वैष्णव सम्प्रदाय, ब्रह्मा जी का उपासक हिरण्याकश्यप आदि।  और आज का मानव समाज भी इन तीनों देवताओं की भक्ति साधना में लगा है फिर भी काल की भेंट चढ़ जाते हैं। 
आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व कबीर साहेब ने कहा था कि-
   तीन देव की जो करते भक्ति 
   उनकी कबहू ना होवे मुक्ति ।
   गुण तीनों की भक्ति में भूल पङ्यो संसार।
   कहे कबीर निज नाम बिना कैसे उतरो पार ।।
   अर्थात तीनों देवताओं की भक्ति साधना से केवल क्षणिक लाभ संभव है तथा मोक्ष प्राप्ति भी असंभव है। इस प्रकार कावङ यात्रा का कहीं भी किसी शास्त्र में कोई प्रमाण नहीं अर्थात शास्त्र विरूद्ध आचरण है जिससे कोई लाभ संभव नहीं है। 
     इस बार 2020 में कोरोना वैश्विक महामारी के चलते कावङ यात्रा नहीं होगी । यदि भगवान शिव समर्थ होते और कावङ यात्रा से प्रसन्न होते तो क्या कावङ यात्रा नहीं होती। 
    कावङ यात्रा के साथ साथ भक्ति साधना करने से भी व्यक्ति व्यसन ( शराब, मांस, नशीले पदार्थों का सेवन आदि) मुक्त नहीं हो पाते हैं। 

  • भक्ति साधना कौनसी करनी चाहिए- 
 अनमोल मनुष्य जीवन केवल परमात्मा की शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना करके मोक्ष प्राप्ति हेेतु मिला है लेकिन काल  
प्रभाव तथा तत्वज्ञान के अभाव में हम शास्त्र विरूद्ध भक्ति साधना कर रहे हैं जिससे लाभ की बजाय हानि ही होती है। 
   अतः पवित्र गीताजी के अध्याय 4 श्लोक 34 में उल्लेखित तत्वदर्शी संत की खोज उपरांत परमात्मा के उस परम पद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के बाद साधक जन्म मरण में नहीं आता है ।
    आज सम्पूर्ण विश्व में जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज ही एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं जिनकी शरण में जाने से इस लोक में सुख और मृत्यु उपरांत मुक्ति संभव है ।
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सतभक्ति मार्ग अपनायें और अपना अनमोल मनुष्य जीवन सफल बनायें। 

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