PURNIMA FAST (VART)
- पूर्णिमा व्रत क्या है-
- वट पूर्णिमा का महत्व -
मान्यता है कि वट यानी बरगद इकलौता ऐसा वृक्ष है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से तीनों देवता प्रसन्न होते हैं और मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने वाली महिलाओं का सुहाग हमेशा सुरक्षित रहता है और उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। किवदन्ती के अनुसार इस व्रत से यह भी पता चलता है कि सुहागन स्त्री में कितनी ताकत होती है कि यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेने की शक्ति रखती है।
- शास्त्रों में पूर्णिमा व्रत का उल्लेख-
इन चारों वेदों तथा चारों वेदों के सारांश पवित्र गीताजी में कहीं भी "पूर्णिमा व्रत" का उल्लेख नहीं है।
इस प्रकार उपरोक्त सभी क्रियायें तथा मान्यताएं मनमुखी तथा काल प्रेरित है जिनके करनेके से कोई लाभ संभव नहीं है।
अर्थात यह पवित्र चारों वेद तथा पवित्र गीताजी परमात्मा का विधान है, इसके अतिरिक्त जो भी आध्यात्मिक क्रिया है वह काल प्रेरित है।
व्रत के संदर्भ में पवित्र गीताजी के अध्याय 6 श्लोक 16 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि अर्जुन "न तो अधिक खाने वाले तथा न ही भूखा रहने वाले (व्रत-उपवास करना) की, न अधिक सोने वाले की और न ही अधिक जागने वाले की भक्ति सिद्ध होती है अर्थात व्रत-उपवास करना शास्त्र विरूद्ध आचरण बताया है।
पवित्र चारों वेदों में एक ही परमात्मा कबीर परमेश्वर का उल्लेख है। उसके अतिरिक्त कोई उल्लेख नहीं है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा संवत 1455 में काशी शहर में कबीर परमेश्वर का अवतरण हुआ था, इस दिन को प्रतिवर्ष कबीर पंथी संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में कबीर प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अतिरिक्त सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कोई भी देवी-देवता किसी व्यक्ति आदि की आयु बढ़ाने में सक्षम नहीं है । इस प्रकार व्रत-उपवास आदि से किसी की आयु बढ़ना कपोल कल्पित और व्यर्थ की बातें हैं।
अतः मन वांछित लाभ प्राप्त करने के लिए तीर्थ, व्रत-उपवास न करके पूर्ण संत (तत्वदर्शी संत) की खोज करके उससे दीक्षा प्राप्ति उपरांत मर्यादा पूर्वक पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सतभक्ति करनी होती है।
वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत "रामपालजी महाराज" हैं ।
अतः संत रामपालजी महाराज से दीक्षा प्राप्त कर अपना अनमोल मनुष्य जीवन सफल बनायें।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना टीवी चैनल सांय 7:30 बजे से।
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आधुनिक समय में मानवता को जांचने।