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Showing posts from July, 2020

Education- A Needs Of Life

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शिक्षा और उसकी आवश्यकता- शिक्षा का अर्थ है सीखना और सिखाना। ... व्यापक अर्थ में शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। शिक्षा का उद्देश्य- प्राचीन भारत में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य 'मुक्ति' की चाह रही है (सा विद्या या विमुक्तये / विद्या उसे कहते हैं जो जन्म मरण के दीर्घ रोग को समाप्त कर दे अर्थात मोक्ष प्राप्ति।   यह सर्वमान्य सिद्धान्त है कि इस संसार में मानव ऐसा प्राणी है जिसकी सर्वविध उन्नति कृत्रिम हैए स्वाभाविक नहीं। शैशवकाल में बोलने,चलने आदि की क्रियाओं से लेकर बड़े होने तक सभी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने हेतु उसे पराश्रित ही रहना होता है, दूसरे ही उसके मार्गदर्शक होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि समय.समय पर विविध माध्यमों अथवा व्यवहारों से मानव में अन्यों के द्वारा गुणों का आधान किया जाता है।  यदि ऐसा न किया जाये तो मानव ने आज के युग में कितनी ही भौतिक उन्नति

Kawar-Yatra

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क्या है कावङ यात्रा- कंधे पर गंगाजल लेकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाने की परंपरा, ' कांवड़  यात्रा' कहलाती है। कहते हैं यह भक्तों को भगवान से जोड़ती है। महादेव को प्रसन्न कर मनोवांछित फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय  कांवड़  यात्रा भी है, जिसे शिव को प्रसन्न करने का सहज मार्ग माना गया है। कैसे शुरू हुई कावङ यात्रा- पौराणिक काल से ही  कांवड़ यात्रा  का प्रचलन है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए  कांवड़  में मानसरोवर से जल भरकर लायीं थीं और उनका अभिषेक किया था। उत्तरभारत में  कांवड़ यात्रा  का बड़ा महत्व है। ये लोग गोमुख से जल भरकर रामेश्वरम में ले जाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। कावङ यात्रा से कोई लाभ/हानि है- हमारे पवित्र शास्त्रों (गीताजी अध्याय 14 श्लोक 3  के 5, शिव पुराण अध्याय 5 श्लोक 8, श्रीमद्देवीभागवत पुराण के पृष्ठ संख्या 123  आदि) के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और  और महेश तीनों तीन लोक के स्वामी हैं तथा किसी भी व्यक्ति को उसके कर्म अनुसार फल प्रदान करते हैं अर्थात उसके भाग्य में लिखे को नहीं बदल सकते हैं। इसी कारण कावङ यात

Inflation

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महंगाई क्या है- अल्प समय में रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोगी वस्तुओं की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि को महंगाई नाम से जाना जाता है, जो दिन ब दिन बढत ही रहती है। महंगाई को हम कुछ इस प्रकार समझ सकते है जब मूलभूत वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगते है। पैसो का मूल्य गिरना और दाम बढने को महंगाई कहा जाता है। महंगाई बढते ही कमाई कम हो जाती है और खर्च बढ जाता है। महंगाई के विरोध मे कई बार प्रदर्शन होते है, रैलिया निकलती है और मार्च निकलते है। महंगाई बढ़ने के मुख्य कारण- महंगाई हमारे देश मे एक बड़ी और गंभीर समस्या है, जो सुरसा के मुँह की तरह दिन ब दिन बढती जा रही है । समय के साथ महंगाई और भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा गरीब और गरीब । कई बार पयार्यवण के कारण भी गरीब आती है अगर फसल के समय कोई आपदा आ जाती है और फसल खराब हो जाती है तो उस परिवार का भरण पोषण रूक जाता है। बात यह नही है कि हमारे देश मे भोजन नही है, बात कुछ यूं है कि काला बाजारी के चलते भी अकसर दामो मे वृद्धि होती है। देश के कुछ अर्थशास्त्रीयो ने इस विषय पर शोध किया है। कुछ ऐसे अहम बिंद