Holi

Indian festival of colours-  Holi
 मनुष्य जीवन प्राप्त प्राणी को शास्त्र विरूद्ध भक्ति साधना पर आरूढ़ हुए असंख युग और जीवन बीत गये,लेकिन जो सतलोक में सुखदायी(Colours) और Holi (खुशहाली) मनाने की वृत्ति आत्मा का अभिन्न हिस्सा बन गया था को यह काल जाल भी समाप्त नहींकर सका ।
        परन्तु हमारे Holi मनाने के तरीके समय के साथ परिवर्तित होते गये। सतलोक में हमें बिना कर्म किये वांछित (इच्छित) वस्तु की प्राप्ति हो जाती थी,तो वहां हम राम नाम की Holi उमंग रूपी Colours के साथ मनाते थे।
         हमारी इस लोक में सतयुग से कलियुग की तरफ आते-आते शास्त्र विरूद्ध भक्ति साधना में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई और वर्तमान समय में हम शास्त्र विरूद्ध आचरण की अंतिम सीमा पर पहुँच गए हैं ।जहाँ सतलोक में मनाई जाने वाली festival of colours ( Holi) का रूप और तरीका बदल कर हम इस कगार पर पहुँच चूके हैं कि, हमारा आध्यात्मिक और नैतिक रूप से पूर्ण रूपेण पतन हो चूका है।
       यदि हमें पुनः वही शाश्वत स्थान और वही राम नाम रूपी Festival of Colours (Holi) प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें संत रामपालजी महाराज के द्वारा प्रदत्त शास्त्रोक्त भक्ति  साधना को ग्रहण करके उतना ही पुण्यकर्मी बनना होगा जितने पुण्यकर्मी हम सतलोक से आये तब थे ।
       अधिक जानकारी के लिए पढें पुस्तक "ज्ञान गंगा", "जीने की राह", "गीतातेरा ज्ञान अमृत", "अंधश्रद्धा भक्ति खतरा ए जान"। और अवश्य देखें साधना टीवी चैनल सांय 7:30 से 

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