Holi
Indian festival of colours- Holi मनुष्य जीवन प्राप्त प्राणी को शास्त्र विरूद्ध भक्ति साधना पर आरूढ़ हुए असंख युग और जीवन बीत गये,लेकिन जो सतलोक में सुखदायी(Colours) और Holi (खुशहाली) मनाने की वृत्ति आत्मा का अभिन्न हिस्सा बन गया था को यह काल जाल भी समाप्त नहींकर सका । परन्तु हमारे Holi मनाने के तरीके समय के साथ परिवर्तित होते गये। सतलोक में हमें बिना कर्म किये वांछित (इच्छित) वस्तु की प्राप्ति हो जाती थी,तो वहां हम राम नाम की Holi उमंग रूपी Colours के साथ मनाते थे। हमारी इस लोक में सतयुग से कलियुग की तरफ आते-आते शास्त्र विरूद्ध भक्ति साधना में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई और वर्तमान समय में हम शास्त्र विरूद्ध आचरण की अंतिम सीमा पर पहुँच गए हैं ।जहाँ सतलोक में मनाई जाने वाली festival of colours ( Holi) का रूप और तरीका बदल कर हम इस कगार पर पहुँच चूके हैं कि, हमारा आध्यात्मिक और नैतिक रूप से पूर्ण रूपेण पतन हो चूका है। यदि हमें पुनः वही शाश्वत स्थान और वही राम नाम रूपी Festival of Colour...