दहेज:-एक कुप्रथा
दहेजप्रथा क्या है-: अपनी बहन बेेेटियों का निर्जीव वस्त्तुओं के साथ सौदा करना।
दहेज एक सामाजिक कुरीति:
मनुष्य ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को परम्परा के नाम से निर्वहन करते करते अपने सुखी जीवन में आग लगा ली है।
आज एक परिवार अपने घर में बेटी पैदा होने को अभिशाप मानने लग गया है उसका मुख्य कारण है - दहेजप्रथा
प्राचीन समय में अपने रिश्तेदारों को अभावग्रस्त होने पर सहायता करने के रिवाज ने कालान्तर में समय व्यतीत होने के साथ-साथ दहेज रूपी दानव का स्वरूप धारण कर लिया ।
आज एक गरीब व्यक्ति अपनी बेटी के विवाह में दिखावे के लिए अपनी सामर्थ्य से अधिक खर्च करके अपने ऊपर कर्ज कर लेता है जिसे चुकाने में अपनी जिंदगी नरक बना लेता है ।
दहेजप्रथा का उन्मूलन:
ऐसे में मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति करने (जन्म-मरण से मुक्ति) को भूलकर अपनी परम्पराओं के निर्वहन के जाल में उलझकर अनमोल मनुष्य जीवन को खो देता है ।लेकिन ऐसे समय में पूर्ण संत रामपालजी महाराज ने मानव समाज को आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित करवाकर नई दिशा प्रदान की है, जिसमें एक बेटी का विवाह मात्र 17 मिनट में गुरूवाणी के माध्यम से बिना किसी दहेज लेन-देन के सम्पन्न होता है। जिससे मानव समाज में व्याप्त दहेजप्रथा पर रोक लगेगी और बेटी परिवार पर बोझ नहीं बल्कि परिवार का गौरव बनेगी।
यदि आप भी इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं तो एक बार अवश्य पढ़ें पुस्तक जीने की राह।इस पुस्तक को निःशुल्क प्राप्त करने हेतु अपना पूर्ण पत्ता व मोबाइल नंबर 7496801825 पर वॉट्सअप करें और मानव समाज की उन्नति में अपना योगदान दें ।
दहेज एक सामाजिक कुरीति:
मनुष्य ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को परम्परा के नाम से निर्वहन करते करते अपने सुखी जीवन में आग लगा ली है।
आज एक परिवार अपने घर में बेटी पैदा होने को अभिशाप मानने लग गया है उसका मुख्य कारण है - दहेजप्रथा
प्राचीन समय में अपने रिश्तेदारों को अभावग्रस्त होने पर सहायता करने के रिवाज ने कालान्तर में समय व्यतीत होने के साथ-साथ दहेज रूपी दानव का स्वरूप धारण कर लिया ।
आज एक गरीब व्यक्ति अपनी बेटी के विवाह में दिखावे के लिए अपनी सामर्थ्य से अधिक खर्च करके अपने ऊपर कर्ज कर लेता है जिसे चुकाने में अपनी जिंदगी नरक बना लेता है ।
दहेजप्रथा का उन्मूलन:
ऐसे में मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति करने (जन्म-मरण से मुक्ति) को भूलकर अपनी परम्पराओं के निर्वहन के जाल में उलझकर अनमोल मनुष्य जीवन को खो देता है ।लेकिन ऐसे समय में पूर्ण संत रामपालजी महाराज ने मानव समाज को आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित करवाकर नई दिशा प्रदान की है, जिसमें एक बेटी का विवाह मात्र 17 मिनट में गुरूवाणी के माध्यम से बिना किसी दहेज लेन-देन के सम्पन्न होता है। जिससे मानव समाज में व्याप्त दहेजप्रथा पर रोक लगेगी और बेटी परिवार पर बोझ नहीं बल्कि परिवार का गौरव बनेगी।
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आधुनिक समय में मानवता को जांचने।